Javed Akhtar |
तुम होतीं तो कैसा होता
तुम ये कहतीं
तुम वो कहतीं
तुम इस बात पे हैराँ होतीं
तुम उस बात पे कितनी हँसतीं
तुम होतीं तो ऐसा होता
तुम होतीं तो वैसा होता
tum hotin to kaisa hota
tum ye kahtin
tum wo kahtin
tum is baat pe hairan hotin
tum us baat pe kitni hanstin
tum hotin to aisa hota
tum hotin to waisa hota
अभी ज़मीर में थोड़ी सी जान बाक़ी है
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाक़ी है
हमारे घर को तो उजड़े हुए ज़माना हुआ
मगर सुना है अभी वो मकान बाक़ी है
हमारी उन से जो थी गुफ़्तुगू वो ख़त्म हुई
मगर सुकूत सा कुछ दरमियान बाक़ी है
हमारे ज़ेहन की बस्ती में आग ऐसी लगी
कि जो था ख़ाक हुआ इक दुकान बाक़ी है
वो ज़ख़्म भर गया अर्सा हुआ मगर अब तक
ज़रा सा दर्द ज़रा सा निशान बाक़ी है
ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है
अब आया तीर चलाने का फ़न तो क्या आया
हमारे हाथ में ख़ाली कमान बाक़ी है
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाक़ी है
हमारे घर को तो उजड़े हुए ज़माना हुआ
मगर सुना है अभी वो मकान बाक़ी है
हमारी उन से जो थी गुफ़्तुगू वो ख़त्म हुई
मगर सुकूत सा कुछ दरमियान बाक़ी है
हमारे ज़ेहन की बस्ती में आग ऐसी लगी
कि जो था ख़ाक हुआ इक दुकान बाक़ी है
वो ज़ख़्म भर गया अर्सा हुआ मगर अब तक
ज़रा सा दर्द ज़रा सा निशान बाक़ी है
ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है
अब आया तीर चलाने का फ़न तो क्या आया
हमारे हाथ में ख़ाली कमान बाक़ी है
जावेद अख़्तर
Abhi zamir mein thodi si jaan baqi hai
abhi hamara koi imtihan baqi hai
hamare ghar ko to ujde hue zamana hua
magar suna hai abhi wo makan baqi hai
hamari un se jo thi guftugu wo KHatm hui
magar sukut sa kuchh darmiyan baqi hai
hamare zehn ki basti mein aag aisi lagi
ki jo tha Khak hua ek dukan baqi hai
wo zakhm bhar gaya arsa hua magar ab tak
zara sa dard zara sa nishan baqi hai
zara si baat jo phaili to dastan bani
wo baat KHatm hui dastan baqi hai
ab aaya tir chalane ka fan to kya aaya
hamare hath mein Khali kaman baqi hai
Javed Akhtar
abhi hamara koi imtihan baqi hai
hamare ghar ko to ujde hue zamana hua
magar suna hai abhi wo makan baqi hai
hamari un se jo thi guftugu wo KHatm hui
magar sukut sa kuchh darmiyan baqi hai
hamare zehn ki basti mein aag aisi lagi
ki jo tha Khak hua ek dukan baqi hai
wo zakhm bhar gaya arsa hua magar ab tak
zara sa dard zara sa nishan baqi hai
zara si baat jo phaili to dastan bani
wo baat KHatm hui dastan baqi hai
ab aaya tir chalane ka fan to kya aaya
hamare hath mein Khali kaman baqi hai
Javed Akhtar